برمائيات · برْمائِيّ · بَرْمَائِيّ · قَازِب · كائِن برْمائِيّ
البَرْمائِيَّات أو القَوَازِبُ، هي فقاريَّاتٌ رُباعيَّة الأطراف خارجيَّة الحرارة، اسمُها بالعربيَّة منحوتٌ من كلمتيّ «بر» و«ماء»، لِانتسابها إلى كلاها.
两栖动物 · 水陆两栖动物 · 两栖类 · 两栖纲 · 两生动物
amphibian · Amphibia · Amphibean · Amphibian anatomy · Amphibian conservation
Cold-blooded vertebrate typically living on land but breeding in water; aquatic larvae undergo metamorphosis into adult form
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amphibien · Amphibia · batracien · amphibiens · Batrachofaune
Les amphibiens, anciennement « batraciens », forment une classe de vertébrés tétrapodes.
Amphibien · Lurche · Amphibie · Amphibium · Lurch
Unter den Bezeichnungen Amphibien oder Lurche werden alle Landwirbeltiere zusammengefasst, die sich, im Gegensatz zu den Amnioten, nur in Gewässern fortpflanzen können.
αμφίβια · αμφίβιο · Amphibia
(ζωολ.) ζώο πουως προνύμφη ζει μέσα στο νερό αναπνέοντας με βράγχια, ενώ μετά την ενηλικίωση ζει στην ξηρά, αναπνέοντας με τους πνεύμονες που έχει εν τω μεταξύ αναπτύξει
דו-חיים · חַי־דּוּ · דו חיים · Amphibia · Lissamphibia
דּוּ-חַיִּים היא מחלקה של מיתרניים בקבוצת בעלי ארבע רגליים, בעל-מחלקת חולייתנים לסתניים.
उभयचर · Amphibia · एंफीबिया
उभयचर वर्ग पृष्ठवंशीय प्राणियों का एक बहुत महत्वपूर्ण वर्ग है जो जीववैज्ञानिक वर्गीकरण के अनुसार मत्स्य और सरीसृप वर्गों के बीच की श्रेणी में आता है। इस वर्ग के कुछ जंतु सदा जल पर तथा कुछ जल और थल दोनों पर रहते हैं। ये अनियततापी जंतु हैं। इस वर्ग में ३००० जाति पाए जाते हैं। शरीर पर शल्क, बाल या पंख नहीं होते हैं, परंतु इनकी त्वचा अधिक ग्रंथिमय होने के कारण चिकनी होती है। मेंढक इस वर्ग का एक प्रमुख प्राणि है। यह पृष्ठवंशियों का प्रथम वर्ग है, जिसने जल के बाहर रहने का प्रयास किया था। फलस्वरूप नई परिस्थितियों के अनुकूल इनकी रचना में प्रधानतया तीन प्रकार के अंतर हुए- इनका शारीरिक ढाँचा जल में तैरने के अतिरिक्त थल पर भी रहने के योग्य हुआ। क्लोम दरारों के स्थान पर फेफड़ों का उत्पादन हुआ तथा रक्तपरिवहन में भी संबंधित परिवर्तन हुए। ज्ञानेंद्रियों में यथायोग्य परिवर्तन हुए, जिससे ये प्राणी जल तथा थल दोनों परिस्थितियों का ज्ञान कर सकें। == विशेष लक्षण == उभयचर के कुछ विशेष लक्षण निम्नलिखित हैं : इनकी त्वचा पर किसी प्रकार का बाह्य कंकाल, जैसे शल्क, बाल इत्यादि नहीं होते और त्वचा आर्द्र होती है।मीनपक्षों के स्थान पर दो जोड़ी पाद होते हैं।इनमें दो नासाद्वार होते है, जो मुखगुहा द्वारा फेफड़ों से संबद्ध रहते हैं।हृदय में तीन वेश्म होते हैं।ये असमतापी जीव होते हैं।इनमें एक विशेष प्रकार का मध्यकर्ण पाया जाता है जिससे इन्हें वायुध्वनियों का ज्ञान होता है। == वर्गीकरण == उभयचर वर्ग में लगभग २,५०० प्रकार के विभिन्न प्राणी सम्मिलित हैं, जिनको चार गणों में विभाजित किया जाता है : सपुच्छा ; विपुच्छा ; अपादा और आवृतशीर्ष । === सपृच्छा === इसके अंतर्गत न्यूट तथा सैलामैंडर आते हैं। इनका शरीर लंबा और सिर तथा धड़ के अतिरिक्त पूँछ भी होती है। बहुधा अग्र तथा पश्चपाद लगभग बराबर होते हैं। अधिकतर जलक्लोम तथा क्लोम दरारें आजीवन रहती हैं, परंतु कुछ में ये वयस्क अवस्था में लुप्त हो जाती हैं और श्वसन केवल फेफड़ों द्वारा ही होता है। ये प्राचीन काल में खटी युग तक पाए गए हैं। यद्यपि इनका साधारण आकार इनके पूर्वजों से मिलता जुलता है, फिर भी इनकी उत्पत्ति पर अधिक प्रकाश अभी तक संभव नहीं हो सका है। नेकट्यूरस- यह एक प्रकार का सपुच्छा है जिसको पानी का कुत्ता भी कहते हैं। यह लगभग १२ इंच तक लंबा होता है और अमरीका की नदियों में पाया जाता है। इसमें फेफड़े तथा तीन चौड़ी जलश्वसनिकाएँ पाई जाती हैं तथा दोनों ही स्थायी रूप से आजीवन रहती हैं। छोटी छोटी मछलियाँ, शंख तथा पानी के अन्य कीड़े-मकोड़े इसका मुख्य आहार हैं। इसकी एक विशेषता यह भी है कि मादा पत्थरों के नीचे अंडे देती है और उनकी देखभाल स्वयं करती है। प्रोटियस भी नेकटयूरस से मिलता-जुलता जीव है जो यूरोप में पानी की गहरी खाइयों इत्यादि में रहता है। इसी कारण इसकी त्वचा में रंगों का अभाव रहता है। इसकी आँखें त्वचा से ढकी रहती हैं। सैलामैंडरों में एंफ़ियूमा को छोड़कर क्रिष्टोब्रैंकस, एंबीस्टोमा, ट्राइटन और प्लीथोडोन इत्यादि में प्रौढ़ अवस्था में किसी में जलश्वसनिकाएँ नहीं होती हैं। क्रिष्टोब्रैकस लगभग २ फुट लंबा साँडे के आकार का उत्तरी अमरीका की नदियों में पाया जानेवाला जीव है। अन्य सैलामैंडरी की अपेक्षा इसके शरीर की त्वचा में अनेक झुरियाँ-सी होती हैं। पूर्वी चीन तथा जापान में पाई जानेवाली इसकी जाति, मेगालोबैटेकस ४¾ फुट से भी लंबी होती है। एंबीस्टोमा उत्तरी अमरीका का एक सैलामैंडर है जो प्रौढ़ अवस्था में थल पर ही रहता है। इसमें यह विशेषता है कि इसके डिंभ, जिनको ऐक्स्लॉट्स कहते हैं और जिनमें बाह्म जल श्वसनिकाएँ रहती हैं, वयस्क अवस्था के पहुँचने के पहले ही लैंगिक रूप से पूर्णतया परिपक्व हो जाते हैं। प्राणियों के इस प्रकार वयस्क अवस्था में लैंगिक रूप से परिपक्व होने की क्रिया को नियोटनी कहते हैं। ट्राइटयूरस, जिसको साधारणतया न्यूट भी कहते हैं, उत्तरी अमरीका, यूरोप और पूर्वी एशिया में मिलता है। यह अधिकतर स्थल पर ही रहता है और थलीय जीवन का इतना आदी हो जाता है कि किसी समय भी जल में नहीं जाता। इसी कारण इसमें जलश्वसनिकाएँ तथा क्लोम दारारें नहीं होतीं और इसका श्वसन केवल फेफड़ों द्वारा ही होता है। कुछ मादा न्यूट्स का रंग जननकाल में बहुत चटकीला हो जाता है और पीठ पर एक लंबी शिखररूपी त्वचा की पट्टी बढ़ जाती है। एंफ़ियूमा कांगो के दलदलों तथा धान के खेतों में पाया जाता है। यह लगभग ३ फुट तक लंबा, ईल मछली से मिलता जुलता प्रतीत होता है। इसी कारण वहाँ के निवासी इसको कांगो की ईल भी कहते हैं। परंतु इनमें गलफड़ों के अतिरिक्त फेफड़े, जलश्वसनिका तथा पाद वर्तमान रहते हैं। केवल प्लीथोडोन, जो आकार में छिपकली के समान ६ इंच लंबा होता है, स्थलीय होने पर भी फेफड़ा रहित होता है। प्लीथोडोन में बहुधा मादा अपने अंडों की रक्षा करती है। सपुच्छा समूह के कुछ जीव पतले, लंबे तथा पश्चपाद अथवा पलकरहित होते हैं। इनकी साइरने कहते हैं। ये मध्य अमरीका के गंदे तालाबों तथा गड्ढों में पाए जाते हैं और तीन जोड़ी जलश्वसनिकाओं द्वारा साँस लेते हैं। === विपुच्छा === विपुच्छा पुच्छरहित उभयचर हैं। इनके अंतर्गत मेढ़कों तथा भेकों की १,७०० से भी अधिक जातियाँ सम्मिलित हैं। इनमें ग्रीवा नहीं होती। अग्रपाद छोटे तथा पश्चपाद लंबे होते हैं, जो इनके तैरने तथा छलाँग मारने में सहायक होते हैं। इस समूह के कुछ प्राणी केवल जल या थल और कुछ दोनों में रहते हैं; कुछ, जैसे हाइला, पेड़ों पर भी पाए जाते हैं। वे जो सदा थल पर रहते हैं; अंड़े देने के समय पानी में अवश्य चले जाते है। डिंभ अवस्था में पूँछ होती है जो वयस्क होने पर लुप्त हो जाती है। पुच्छ-कशेरुकों के जुड़ने से एक पुच्छदंड बनता है, जो धड़ के पीछे के भाग में स्थापित रहता है। विपुच्छों में संसेचन क्रिया केवल न्यूज़ीलैंड के साँड़ भेक को छोड़कर शरीर के बाहर ही होती है और इनके भ्रूणविकास में एक महत्वपूर्ण रूपांतर होता है। पुच्छरहित उभयचर दुनिया के लगभग प्रत्येक भाग में पाए जाते हैं, परंतु वह बहुत गर्मी तथा सर्दी होने पर मिट्टी के भीतर घुस जाते हैं और तब इनके शरीर की सारी क्रियाएँ शिथिल हो जाती हैं। जीवन के इस विभेदन को ग्रीष्म या शीतनिष्क्रियता कहते हैं। ये जीव बहुधा २ से लेकर ५ इंच तक लंबे होते हैं, परंतु पश्चिमी अ्फ्रीका का राना गोलिअथ नामक भेक लगभग १२ इंच तथा दक्षिणी अमरीका का साँड़ भेक ८ इंच लंबा होता है। इसके विपरीत क्यूबा देश का पेड़ पर रहनेवाला भेक केवल ३/८ इंच का ही होता है। कुछ विपुच्छों के अंडों की रक्षा करने के अनेक साधन पाए जाते हैं। यूरोप का नर ऐलिटीज़ मेंढके अडों को अपने पश्चपाद में चिपकाकर इधर-उधर लिए फिरता है तथा अ्फ्रीका के पाइपा की मादा अंड़ों को अपनी पीठ की त्वचा पर छोटे-छोटे गड्ढों में रखकर उनकी रक्षा करती है। === अपादा === इनको सिसिलिअंस अथवा जिमनोफाइओना भी कहते हैं। ये अधिकतर उष्ण कटिबंध में पाए जाते हैं। ये पादरहित, लगभग एक फुट लंबे, कृमि रूपी उभयचर हैं, जो भूमि के अंदर बिलों में रहते हैं। कदाचित् इन परिस्थितियों के कारण इनमें पादों के साथ पादमेखला का भी लोप हो जाता है और नेत्र अत्यंत छोटे तथा कार्यहीन हो जाते हैं। अन्य उभयचरों से ये इस बात में भिन्न होते हैं कि इनमें त्वचा के नीचे छोटे-छोटे शल्क होते हैं। पूँछ बहुत छोटी तथा श्वसन केवल फेफड़ों द्वारा और संसेचन आंतरिक होता है। इकथियोफ़िस भारतवर्ष में तथा साइफ़ोनॉप्स अमरीका में पाए जाते हैं और अंडे देने के उपंरात उनके चारों ओर लिपटकर उनकी रक्षा करते हैं। === स्टीगोसिफ़ेलिया === उभयचरों की कुछ जातियाँ, जो आज से लाखों वर्ष पूर्व पाई जाती थीं परंतु अब नहीं मिलतीं, इस समुदाय में सम्मिलित हैं। इनकी विशेषता यह है कि इनके कपाल और हनु भी अस्थियों से ढके रहते थे। कुछ प्राणी, जैसे डिपलोकॉलस, छोटे सैलामैंडरों के समान तथा इओग्राइनस १५ फुट तक लंबे होते थे। ये सदा जल में ही रहा करते थे। स्टीगोसिफ़ेलिया के अध्ययन से प्रतीत होता है कि उभयचर वर्ग की उत्पत्ति संभवत: किसी प्राचीन मत्स्यरूपी प्राणी से हुई होगी, जो पहले जल में रहते रहे होंगे। परंतु खटी युग में जल के जगह-जगह पर सूख जाने के कारण इन प्राणियों को थल पर चलने तथा वायु में श्वास लेने का प्रयास करना पड़ा। फलस्वरूप इनमें अनेकानेक शारीरिक परिवर्तन हुए और एक नए वर्ग का आरंभ हुआ। == बाहरी कड़ियाँ == Save the Frogs!
anfibio · anfibi · Amphibia · batrace · batracio
Piccolo animale vertebrato della classe degli Anfibi, diffuso negli ambienti umidi, che vive e respira in acqua con le branchie quando è una larva, e vive sulla terra respirando con i polmoni da adulto
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両生類 · Amphibia · 両棲綱 · 両生 · 両生綱
両生類(りょうせいるい)とは、脊椎動物亜門両生綱 に属する動物の総称である。
амфибии · Земноводные · амфи́бия · земново́дное · Amphibia
amphibia · anfibio · anfibios
Los anfibios son una clase de animales vertebrados anamniotas, tetrápodos, ectotérmicos, con respiración branquial durante la fase larvaria y pulmonar al alcanzar el estado adulto.