صحة · سَلامة · صِحَّة · عافِيَة · Health
الصحة هي مستوى الكفاءة الوظيفية والأيضية للكائن الحي، أما عند الإنسان فالصحة لدى الأفراد والمجتمعات وفقا لتعريف منظمة الصحة العالمية في إعلان لمبادئ الرعاية الصحية الأولية عام 1978.
健康 · 康复 · 保健 · 养生
health · wellness · human health · Healthy living · Physical Health
santé · bien-être · santé humaine · Santé physique · Healthy
La santé est « un état de complet bien-être physique, mental et social, et ne consiste pas seulement en une absence de maladie ou d'infirmité ».
Gesundheit · menschliche Gesundheit · Wohlbefinden · Genesen · Gesund
Gesundheit wird, auf den einzelnen Menschen bezogen, meist als Zustand des körperlichen und/oder geistigen subjektiven Wohlbefindens aufgefasst, wobei jedoch bereits bestehende, aber noch unbemerkte Erkrankungen nicht miterfasst sind.
υγεία · ανθρώπινη υγεία · υγεία του ανθρώπου
Η καλή φυσική κατάσταση του οργανισμού, η αρμονική λειτουργία του
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בריאות · בְּרִיאוּת · בריא
בריאות היא שילוב של יעילות תפקודית ומטבולית באורגניזם, הן ברמת המיקרו והן ברמת המאקרו.
स्वास्थ्य · सेहत
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सन् १९४८ में स्वास्थ्य या आरोग्य की निम्नलिखित परिभाषा दी: दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बोहोत आवश्यक है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों। वैसे तो आज के समय मे अपने आपको स्वस्थ रखने के ढेर सारी आधुनिक तकनीक मौजूद हो चुकी हैं, लेकिन ये सारी उतनी अधिक कारगर नहीं हैं। == समग्र स्वास्थ्य की परिभाषा == विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वास्थ्य सिर्फ रोग या दुर्बलता की अनुपस्थिति ही नहीं बल्कि एक पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक खुशहाली की स्थिति है। स्वस्थ लोग रोजमर्रा की गतिविधियों से निपटने के लिए और किसी भी परिवेश के मुताबिक अपना अनुकूलन करने में सक्षम होते हैं। रोग की अनुपस्थिति एक वांछनीय स्थिति है लेकिन यह स्वास्थ्य को पूर्णतया परिभाषित नहीं करता है। यह स्वास्थ्य के लिए एक कसौटी नहीं है और इसे अकेले स्वास्थ्य निर्माण के लिए पर्याप्त भी नहीं माना जा सकता है। लेकिन स्वस्थ होने nका वास्तविक अर्थ अपने आप पर ध्यान केंद्रित करते हुए जीवन जीने के स्वस्थ तरीकों को अपनाया जाना है। Nयदि हम एक अभिन्न व्यक्तित्व की इच्छा रखते हैं तो हमें हर हमेशा खुश रहना चाहिए और मन में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि स्वास्थ्य के आयाम अलग अलग टुकड़ों की तरह है। अतः अगर हम अपने जीवन को कोई अर्थ प्रदान करना चाहते है तो हमें स्वास्थ्य के इन विभिन्न आयामों को एक साथ फिट करना पड़ेगा। वास्तव में, अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना समग्र स्वास्थ्य का नाम है जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, बौद्धिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्वास्थ्य भी शामिल है। हास्य की एक अच्छी भावना के बारे में सबसे अच्छी बात, निश्चित रूप से, यह एक निश्चित संकेत है कि आपके पास एक स्वस्थ दृष्टिकोण है शारीरिक फिटनेस स्वस्थ होने का एकमात्र आधार नहीं है; स्वस्थ होने का मतलब मानसिक और भावनात्मक रूप से फिट होना है। स्वस्थ रहना आपकी समग्र जीवन शैली का हिस्सा होना चाहिए। एक स्वस्थ जीवन शैली जीने से पुरानी बीमारियों और दीर्घकालिक बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है। अपने बारे में अच्छा महसूस करना और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना आपके आत्म-सम्मान और आत्म-छवि के लिए महत्वपूर्ण है। अपने शरीर के लिए जो सही है उसे करके स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें। आप बहुत सारे व्यायाम कर सकते हैं, लेकिन उचित पोषण के बिना यह सब अप्रभावी हो जाएगा। फिटनेस में 70% आहार शामिल है, बाकी 30% व्यायाम है जो आप करते हैं। == शारीरिक स्वास्थ्य = == शारीरिक स्वास्थ्य शरीर की स्थिति को दर्शाता है जिसमें इसकी संरचना, विकास, कार्यप्रणाली और रखरखाव शामिल होता है। यह एक व्यक्ति का सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक सामान्य स्थिति है। यह एक जीव के कार्यात्मक और/या चयापचय क्षमता का एक स्तर भी है। अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के निम्नलिखित कुछ तरीके हैं- संतुलित आहार की आदतें, मीठी श्वास व गहरी नींद बड़ी आंत की नियमित गतिविधि व संतुलित शारीरिक गतिविधियां नाड़ी स्पंदन, रक्तदाब, शरीर का भार व व्यायाम सहनशीलता आदि सब कुछ व्यक्ति के आकार, आयु व लिंग के लिए सामान्य मानकों के अनुसार होना चाहिए। शरीर के सभी अंग सामान्य आकार के हों तथा उचित रूप से कार्य कर रहे हों। पाचन शक्ति सामान्य एवं सक्षम हो। साफ एवं कोमल स्वच्छ त्वचा हो। आंख नाक, कान, जिव्हा, आदि ज्ञानेन्द्रियाँ स्वस्थ हो। जिव्हा स्वस्थ एवं निर्मल हो दांत साफ सुथरें हो।मुंह से दुर्गंध न आती हो। समय पर भूख लगती हो। शारीरिक चेष्टा सम प्रमाण में हो। जिसका मेरुदण्ड सीधा हो। चेहर पर कांति ओज तेज हो। कर्मेन्द्रिय स्वस्थ हों। मल विसर्जन सम्यक् मात्रा में समय पर होता हो। शरीर की उंचाई के हिसाब से वजन हो। शारीरिक संगठन सुदृढ़ एवं लचीला हो। === मानसिक स्वास्थ्य === मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ हमारे भावनात्मक और आध्यात्मिक लचीलेपन से है जो हमें अपने जीवन में दर्द, निराशा और उदासी की स्थितियों में जीवित रहने के लिए सक्षम बनाती है। मानसिक स्वास्थ्य हमारी भावनाओं को व्यक्त करने और जीवन की ढ़ेर सारी माँगों के प्रति अनुकूलन की क्षमता है। इसे अच्छा बनाए रखने के निम्नलिखित कुछ तरीके हैं- प्रसन्नता, शांति व व्यवहार में प्रफुल्लता आत्म-संतुष्टि भीतर ही भीतर कोई भावात्मक संघर्ष न हो मन की संतुलित अवस्था। डर, क्रोध, इर्ष्या, का अभाव हो। मनसिक तनाव एवं अवसाद ना हो। वाणी में संयम और मधुरता हो। कुशल व्यवहारी हो। स्वार्थी ना हों संतोषी जीवन की प्रवृति का वाला हो। परोपकार एवं समाज सेवी की भावना वाला हो। जीव मात्र के प्रति दया की भावना वाला हो। परिस्थितियों के साथ संघर्ष करने की सहनशक्ति वाला हो। विकट परिस्थितियों में सांमजस्य बढाने वाला हो। सकारात्मक सोच हो। === बौद्धिक स्वास्थ्य === यह किसी के भी जीवन को बढ़ाने के लिए कौशल और ज्ञान को विकसित करने के लिए संज्ञानात्मक क्षमता है। हमारी बौद्धिक क्षमता हमारी रचनात्मकता को प्रोत्साहित और हमारे निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है। समायोजन करने वाली बुद्धि, आलोचना को स्वीकार कर सके व आसानी से व्यथित न हो। दूसरों की भावात्मक आवश्यकताओं की समझ, सभी प्रकार के व्यवहारों में शिष्ट रहना व दूसरों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना, नए विचारों के लिए खुलापन, उच्च भावात्मक बुद्धि। आत्म-संयम, भय, क्रोध, मोह, जलन, अपराधबोध या चिंता के वश में न हो। लोभ के वश में न हो तथा समस्याओं का सामना करने व उनका बौद्धिक समाधान तलाशने में निपुण हो। === आध्यात्मिक स्वास्थ्य === हमारा अच्छा स्वास्थ्य आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ हुए बिना अधूरा है। जीवन के अर्थ और उद्देश्य की तलाश करना हमें आध्यात्मिक बनाता है। आध्यात्मिक स्वास्थ्य हमारे निजी मान्यताओं और मूल्यों को दर्शाता है। अच्छे आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्राप्त करने का कोई निर्धारित तरीका नहीं है। यह हमारे अस्तित्व की समझ के बारे में अपने अंदर गहराई से देखने का एक तरीका है। अष्टादशेषु पुराणेषु व्यासस्य वचन द्वयं । परोपकारः पुण्याय, पापाय परपीडनम्॥अर्थात अट्ठारह पुराणों में महर्षि व्यास ने दो बातें कहीं हैं - परोपकार से पुण्य मिलता है और दूसरों को पीड़ा देने से पाप। प्राणी मात्र के कल्याण की भावना हो। 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का आचरण हो। तन, मन, एवं धन की शुद्वता वाला हो। परस्पर सहानुभूति वाला हो। परेपकार एवं लोकल्याण की भावना वाला हो। कथनी एवं करनी में अन्तर न हो। प्रतिबद्वता, कर्त्तव्यपालन वाला हो। योग एवं प्राणायाम का अम्यासी हो। श्रेष्ठ चरित्रवान व्यक्तित्त्व हो। इन्द्रियों को संयम में रखने वाला हो। सकारात्मक जीवन शैली जीने वाला हो। पुण्य कार्यो के द्वारा आत्मिक उत्थान वाला हो। अपने शरीर सहित इस भौतिक जगत की किसी भी वस्तु से मोह न रखना। दूसरी आत्माओं के प्रभाव में आए बिना उनसे भाईचारे का नाता रखना। समुचित ज्ञान की प्राप्ति की सतत इच्छा === सामाजिक स्वास्थ्य === चूँकि हम सामाजिक जीव हैं अतः संतोषजनक रिश्ते का निर्माण करना और उसे बनाए रखना हमें स्वाभाविक रूप से आता है। सामाजिक रूप से सबके द्वारा स्वीकार किया जाना हमारे भावनात्मक खुशहाली के लिए अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। प्रदूषणमुक्त वातावरण हो। शुद्व पेयजल एवं पानी की टंकियों का प्रबंध हो। मल-मूत्र एवं अपशिष्ट पदार्थों के निकासी की योजना हो। सुलभ शैचालय हो। समाज अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रहमचर्य एवं अपरिग्रही स्वभाव वाला हो। वृक्षारोपण का अधिकाधिक कार्य हो। सार्वजनिक स्थलों पर पूर्ण स्वच्छता हो। जंनसंख्यानुसार पर्याप्त चिकित्सालय हों। संक्रमण-रोधी व्यवस्था हो। उचित शिक्षा की व्यवस्था हो। भय एवं भ्रममुक्त समाज हो। मानव कल्याण के हितों का समाज वाला हो। अपनी व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार समाज के कल्याण के लिए कार्य करना।पोषण एवं स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले अन्य सामाजिक तत्त्वखाद्य सामग्री की जनसंख्या के अनुपात में उपलब्धता मौसमी फल एवं सब्जियों की उपलब्धता खान-पान की सामाजिक पद्वतियाँ बच्चों के आहार से संबधी नीतियाँ स्थानीय दुकान एवं बाजार सम्बन्धी नीतियाँ समाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरण की स्थिति पेषण संबधी स्वास्थ्य-शिक्षा का प्रचार प्रसार समुदाय का आर्थिक स्तर समुदाय का शैक्षिणिक स्तर समुदाय की चिकित्सकीय व्यवस्था समुदाय हेतु परिवहन व्यवस्था बच्चों एवं महिलाओं से संबधित विशेष स्वास्थ्य की नीतियाँ पोषण व्यवस्था एवं आहार के समुचित भंडारण की व्यवस्था अंधविश्वास एवं गलत धारणाओं से मुक्त समाज सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं मनौवैज्ञानिक स्तर निम्न मृत्युदर एवं न्यून बीमारियाँ जनंसख्या वृद्वि का समुचित नियंत्रण सामाजिक रीति रिवाज एवं परम्परागत मान्यताएँ।अधिकांश लोग अच्छे स्वास्थ्य के महत्त्व को नहीं समझते हैं और अगर समझते भी हैं तो वे अभी तक इसकी उपेक्षा कर रहे हैं। हम जब भी स्वास्थ्य की बात करते हैं तो हमारा ध्यान शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित रहता है। हम बाकी आयामों के बारे में नहीं सोचते हैं। अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता हम सबको है। यह किसी एक विशेष धर्म, जाति, संप्रदाय या लिंग तक सीमित नहीं है। अतः हमें इस आवश्यक वस्तु के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। अधिकांश रोगों का मूल हमारे मन में होता है। एक व्यक्ति को स्वस्थ तब कहा जाता है जब उसका शरीर स्वस्थ और मन साफ और शांत हो। कुछ लोगों के पास भौतिक साधनों की कमी नहीं होती है फिर भी वे दुःखी या मनोवैज्ञानिक स्तर पर उत्तेजित हो सकते। == आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा == आयुर्वेद में स्वस्थ व्यक्ति की परिभाषा इस प्रकार बताई है- समदोषः समाग्निश्च समधातु मलक्रियाः। प्रसन्नात्मेन्द्रियमनाः स्वस्थः इत्यभिधीयते ॥। यहाँ 'सम' का अर्थ 'संतुलित' है। आचार्य चरक के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा- सममांसप्रमाणस्तु समसंहननो नरः। दृढेन्द्रियो विकाराणां न बलेनाभिभूयते॥१८॥ क्षुत्पिपासातपसहः शीतव्यायामसंसहः। समपक्ता समजरः सममांसचयो मतः॥१९॥अर्थात जिस व्यक्ति का मांस धातु समप्रमाण में हो, जिसका शारीरिक गठन समप्रमाण में हो, जिसकी इन्द्रियाँ थकान से रहित सुदृढ़ हों, रोगों का बल जिसको पराजित न कर सके, जिसका व्याधिक्ष समत्व बल बढ़ा हुआ हो, जिसका शरीर भूख, प्यास, धूप, शक्ति को सहन कर सके, जिसका शरीर व्यायाम को सहन कर सके, जिसकी पाचनशक्ति सम़ावस्थ़ा में क़ार्य करती हो, निश्चित कालानुसार ही जिसका बुढ़ापा आये, जिसमें मांसादि की चय-उपचय क्रियाएँ सम़ान होती हों - ऐसे १० लक्षणो लक्षणों व़ाले व्यक्ति को आचार्य चरक ने स्वस्थ माना है। काश्यपसंहिता के अनुसार आरोग्य के लक्षण- अन्नाभिलाषो भुक्तस्य परिपाकः सुखेन च । सृष्टविण्मूत्रवातत्वं शरीरस्य च लाघवम् ॥ सुप्रसन्नेन्द्रियत्वं च सुखस्वप्न प्रबोधनम् । बलवर्णायुषां लाभः सौमनस्यं समाग्निता ॥ विद्यात् आरोग्यलिंङ्गानि विपरीते विपर्ययम् । - भोजन करने की इच्छा, अर्थात भूख समय पर लगती हो, भोजन ठीक से पचता हो, मलमूत्र और वायु के निष्कासन उचित रूप से होते हों, शरीर में हलकापन एवं स्फूर्ति रहती हो, इन्द्रियाँ प्रसन्न रहतीं हों, मन की सदा प्रसन्न स्थिति हो, सुखपूर्वक रात्रि में शयन करता हो, सुखपूर्वक ब्रह्ममुहूर्त में जागता हो; बल, वर्ण एवं आयु का लाभ मिलता हो, जिसकी पाचक-अग्नि न अधिक हो न कम, उक्त लक्षण हो तो व्यक्ति निरोगी है अन्यथा रोगी है। स्वास्थ्य की आयुर्वेद सम्मत अवधारणा बहुत व्यापक है। आयुर्वेद में स्वास्थ्य की अवस्था को प्रकृति और अस्वास्थ्य या रोग की अवस्था को विकृति कहा जाता है। चिकित्सक का कार्य रोगात्मक चक्र में हस्तक्षेप करके प्राकृतिक सन्तुलन को कायम करना और उचित आहार और औषधि की सहायता से स्वास्थ्य प्रक्रिया को दुबारा शुरू करना है। औषधि का कार्य खोए हुए सन्तुलन को फिर से प्राप्त करने के लिए प्रकृति की सहायता करना है। आयुर्वेदिक मनीषियों के अनुसार उपचार स्वयं प्रकृति से प्रभावित होता है, चिकित्सक और औषधि इस प्रक्रिया में सहायता-भर करते हैं। स्वास्थ्य के नियम आधारभूत ब्रह्मांडीय एकता पर निर्भर है। ब्रह्मांड एक सक्रिय इकाई है, जहाँ प्रत्येक वस्तु निरन्तर परिवर्तित होती रहती है; कुछ भी अकारण और अकस्मात् नहीं होता और प्रत्येक कार्य का प्रयोजन और उद्देश्य हुआ करता है। स्वास्थ्य को व्यक्ति के स्व और उसके परिवेश से तालमेल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विकृति या रोग होने का कारण व्यक्ति के स्व का ब्रह्मांड के नियमों से ताल-मेल न होना है। आयुर्वेद का कर्तव्य है, देह का प्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखना और शेष विश्व से उसका ताल-मेल बनाना। रोग की अवस्था में, इसका कर्तव्य उपतन्त्रों के विकास को रोकने के लिए शीघ्र हस्तक्षेप करना और देह के सन्तुलन को पुन: संचित करना है। प्रारम्भिक अवस्था में रोग सम्बन्धी तत्त्व अस्थायी होते हैं और साधारण अभ्यास से प्राकृतिक सन्तुलन को फिर से कायम किया जा सकता है। यह सम्भव है कि आप स्वयं को स्वस्थ समझते हों, क्योंकि आपका शारीरिक रचनातन्त्र ठीक ढंग से कार्य करता है, फिर भी आप विकृति की अवस्था में हो सकते हैं अगर आप असन्तुष्ट हों, शीघ्र क्रोधित हो जाते हों, चिड़चिड़ापन या बेचैनी महसूस करते हों, गहरी नींद न ले पाते हों, आसानी से फारिग न हो पाते हों, उबासियाँ बहुत आती हों, या लगातार हिचकियाँ आती हो, इत्यादि। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पंच महाभूत, आयु, बल एवं प्रकृति के अनुसार योग्य मात्रा में रहते हैं। इससे पाचन क्रिया ठीक प्रकार से कार्य करती है। आहार का पाचन होता है और रस, रक्त, माँस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र इन सातों धातुओं का निर्माण ठीक प्रकार से होता है। इससे मल, मूत्र और स्वेद का निर्हरण भी ठीक प्रकार से होता है। स्वास्थ्य की रक्षा करने के उपाय बताते हुए आयुर्वेद कहता है- त्रय उपस्तम्भा: आहार: स्वप्नो ब्रह्मचर्यमिति




salute · sanità · benessere · salute umana
健康 · 健康の前提条件 · 健康権 · 健康観
здоровье · здоро́вье · здоровье человека · здравствование
Здоро́вье — состояние полного физического, душевного и социального благополучия, а не только отсутствие болезней и физических дефектов.
salud · salud humana · ben ser · sanidad · Saludable
La salud [1] es un estado de bienestar o de equilibrio que puede ser visto a nivel subjetivo o a nivel objetivo.