برق · برْق · بَرْق · البرق · Lightning
البَرْق ظاهرة طبيعية بصرية تبدو على شكل شرارة كهربائية، والتي تنشأ عن تفريغ مفاجئ وعنيف في مناطق الغلاف الجوّي المشحونة.
闪电 · ☇ · 闪电 · 雷击 · 雷电
lightning · Anvil crawler · Continuous Leader · Staccato Lightning · Stepped ladder
Abrupt electric discharge from cloud to cloud or from cloud to earth accompanied by the emission of light
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foudre · éclair · éloise · Décharge nuage-sol · ☇
La foudre est un phénomène naturel de décharge électrostatique disruptive de grande intensité qui se produit dans l'atmosphère, entre des régions chargées électriquement, et peut se produire soit à l'intérieur d'un nuage, soit entre plusieurs nuages, soit entre un nuage et le sol.
Blitz · Entladung · atmosphärische Entladung · Aufblitzen · Blitzdichte
Ein Blitz ist in der Natur eine Funkenentladung oder ein kurzzeitiger Lichtbogen zwischen Wolken oder zwischen Wolken und der Erde.
Αστραπή · κεραυνός · Αστραποκαμμένος · Αστραπόβροντο
Αστραπή ονομάζεται ο τεράστιος ηλεκτρικός σπινθήρας που δημιουργείται ανάμεσα σε δύο διαφορετικά νέφη ή μεταξύ δύο διαφορετικών τμημάτων του ίδιου νέφους ή ανάμεσα σε ένα νέφος και στο έδαφος, οπότε και ειδικότερα ονομάζεται κεραυνός.
ברק · בָּרָק · בָּרָק · ברקים
तड़ित · बिजली · विद्युत · आकाशीय बिजली · बिजली चमकना
तड़ित या "आकाशीय बिजली" वायुमण्डल में विद्युत आवेश का डिस्चार्ज होना और उससे उत्पन्न कड़कड़ाहट को तड़ित कहते हैं। संसार में प्रतिवर्ष लगभग 1करोड़ 60 लाख तड़ित पैदा होते हैं। कड़क के साथ आसमान से गिरने वाली बिजली को तड़ित कहते हैं। आकाश में बादलों के बीच टकराव होती है, यानी घर्षण होने से अचानक एक इलेक्ट्रोस्टेटिक चार्ज निकलती है। अर्थात तूफानी बादलों में विद्युत आवेश पैदा होता है। ये तेजी से आसमान से जमीन की तरफ आता है। इस दौरान हमेंं तेज कड़क के साथ आवाज सुनाई देती है और बिजली की स्पार्किंग की तरह प्रकाश दिखाई देता है इसी पूरी प्रक्रियाा को आकाशीय बिजली कहते हैं। == परिचय एवं इतिहास == संभवत: अन्य किसी भी प्राकृतिक घटना ने इतना भय, रोमांच और आश्चर्य उत्पन्न नहीं किया होगा और न ही आज भी करती होगी, जितना तड़ितपात और बादलों की कड़क से उत्पन्न होता है। अनादि काल से संसार के प्राय: सभी देशों में यह विश्वास प्रचलित था कि तड़ित ईश्वर का दंड है, जिसका प्रहार वह उस प्राणी अथवा वस्तु पर करता है जिसके ऊपर वह कुपित हो जाता है। ग्रीक और रोमन देशवासी इसे भगवान जुपिटर का प्रहारदंड मानते थे। आज भी बहुत से लोग ऐसा ही समझते हैं। विद्युत संबंधी जानकारियों में कुछ वृद्धि होने पर वैज्ञानिकों की यह धारणा बनी कि साधारण तौर पर तड़ित की घटना ठीक उसी प्रकार की होती है जैसा संघनित्र को अनाविष्ट करते समय उसके प्लेटों के बीच वायु में से होकर स्फुलिंगों का प्रवाह होता है। इस धारणा की पुष्टि करने के लिये प्रयोग करने का साहस किसी को नहीं होता था; किन्तु अन्त में बेंजामिन फ्रैंकलिन की प्रेरणा से फ्रांस के दो वैज्ञानिकों, डालिबार्ड और डेलॉर, ने प्रयोग करने का निश्चय किया। उन्होंने धातु के दो छड़ लिए। डालिबार्ड का छड़ ४० फुट तथा डेलॉर का छड़ ९९ फूट ऊँचा था। दोनों ही छड़ों से वे लगभग डेढ़ इंच लंबाई तक के स्फुलिंगों का विसर्जन करा सकने में सफल हुए। यह प्रयोग अत्यंत खतरनाक था और आगे चलकर एक अन्य वैज्ञानिक ने यही प्रयोग दोहराते समय अपने प्राणों से ही हाथ धोया था। फिर भी उपर्युक्त प्रयोग से यह निश्चय न हो सका कि छड़ो में उत्पन्न विद्युत् बादलों से ही आई है, क्योंकि छड़ों की पहुँच बादलों तक नहीं थी। इसलिये बेंजामिन फ्रैंकलिन ने अपना पतंगवाला सुविख्यात प्रयोग किया। उसने एक पतंग उड़ाई और उसे बादलों के अंदर तक पहुँचाया। ज्योंहि पतंग की डोर भीगी, पतंग और डोर दोनों ही तन गए जिससे यह पता चला कि दोनों विद्युत् आवेश युक्त हो गए है। उस डोर में फ्रैंकलिन ने एक चाबी बाँध भी दी थी। चाभी के पास उँगली ले जाने से दोनों के चटचटाहट की आवाज के साथ स्फुलिंगों का विसर्जन हुआ। इतना ही नहीं, उस चाभी का स्पर्श लीडन जार से कराकर उसने उसे आवेशित भी कर लिया। इससे यह निश्चित हो गया कि बादलों में भी विद्युत् होती है। इस विद्युत् के स्फुलिंग रूप में विसर्जन को ही "तड़ित' कहते हैं। यह विसर्जन बादल और बादल, अथवा बादल और पृथ्वी, के बीच हो सकता है। == तड़ित की उत्पत्ति == तड़ित प्राय: कपासीवर्षी मेघों में उत्पन्न होती है। इन मेघों में अत्यंत प्रबल ऊर्ध्वगामी पवनधाराएँ चलती हैं, जो लगभग ४०,००० फुट की ऊँचाई तक पहुँचती हैं। इनमें कुछ ऐसी क्रियाएँ होती हैं जिनके कारण इनमें विद्युत् आवेशों की उत्पत्ति तथा वियोजन होता रहता है। इन क्रियाओं के स्पष्टीकरण के लिए विल्सन, सिंपसन, सक्रेज आदि ने अपने सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं, जो परस्पर विरोधी जान पड़ते हैं, किंतु इतना तो सभी बतलाते हैं कि तड़ित की जननप्रक्रिया मेघों में होती है और इसके लिये उन मेघों में विद्यमान जलसीकर, अथवा हिमकण आदि अवक्षेपण कण, ही उत्तरदायी होते हैं। बादलों में विद्युद्वितरण के संबंध में भी सभी एकमत हैं कि इनके ऊपरी स्तर धनाविष्ट तथा मध्य और निम्नस्तर ऋणाविष्टि होतें हैं। इन आवेशों का विभाजन मेघों के अंदर शून्य डिग्री सें॰ तापवाले स्तरों के भी काफी ऊपर होता है। इससे यह निष्कर्ष सहज ही प्राप्त होता है कि आवेशविभाजन मेघों में बनने वाले हिमकणों तथा ऊर्ध्वगामी पवनधाराओं से ही होता है, जल की बूँदों से नहीं। कभी-कभी निम्न स्तर में भी कहीं-कहीं धनावेशों का एक केंद्र सा बन जाता है। बादलों के निम्न स्तरों पर ऋणवेश उत्पन्न हो जाने के कारण नीचे पृथ्वी के तल पर प्रेरण द्वारा धनावेश उत्पन्न हो जाते हैं। बादलों के आगे बढ़ने के साथ ही पृथ्वी पर के ये धनावेश भी ठीक उसी प्रकार आगे बढ़ते जाते हैं। ऋणावेशों के द्वारा आकर्षित होकर भूतल के धनावेश पृथ्वी पर खड़ी सुचालक या अर्धचालक वस्तुओं पर ऊपर तक चढ़ जाते हैं। इस विधि से जब मेघों का विद्युतीकरण इस सीमा तक पहुँच जाता है कि पड़ोसी आवेशकेंद्रों के बीच विभव प्रवणता विभंग मान तक पहुँच जाती है, तब विद्युत् का विसर्जन दीर्घ स्फुलिंग के रूप में होता है। इसे तड़ित कहते हैं। पृथ्वी की ओर आनेवाली तड़ित कई क्रमों में होकर पहुँचती है। बादलों से इलेक्ट्रानों का एक हिल्लोल १ माइक्रो सेकंड में ५० मीटर नीचे आता है और रुक जाता है। लगभग ५० मा॰ से॰ के पश्चात् दूसरा क्रम आरंभ होता है और इसी प्रकार कई क्रमों में होकर अंत में यह तरंग पृथ्वी तक पहुँचती है। इसे प्रमुख आघात कहते हैं। अपने उद्गमस्थल से पृथ्वी तक पहुँचने में इसे कुल ०.००२ सेकंड तक का समय लगता है। उपर्युक्त तथ्य शॉनलैंड तथा उनके सहयोगियों द्वारा अत्यंत सुग्राही कैमरे की सहायता से लिए गए फोटो चित्र से प्रकट हुए थे। उसी फोटो पट्टिका पर यह भी दिखलाई पड़ा कि प्रमुख क्रम के पृथ्वी पर पहुँचने के क्षण ही एक अत्यंत तीक्षण ज्योति पृथ्वी से मेघों की ओर उन्हीं क्रमों में होकर गई जिनसे होकर प्रमुख क्रम आया था। इसे प्रतिगामी आपात कहते हैं। जहाँ प्रमुख क्रम का औसत वेग १०५ मीटर प्रति सेकंड होता है वहीं प्रतिगामी आधात का वेग १०७ मीटर प्रति सेकंड होता है, क्योंकि उसका मार्ग पहले से ही आयनित होने के कारण प्रशस्त रहता है। उपर्युक्त प्रमुख और प्रतिगामी आघातों के बाद भी कई आघात क्रमश:- नीचे और ऊपर की ओर आते-जाते दिखलाई पड़ते हैं। ये द्वितीयक आघात कहलाते हैं। नीचे आने वाले ये द्वितीयक आघत प्रमुख आघात की भाँति क्रमों में नहीं आते। == बादलों के विभव और तड़ितधाराएँ == सी॰एफ॰ वाग्नर और जी॰ डी॰ मैककैन
fulmine · folgore · lampo · saetta · balenio
Un balenare continuo e frequente
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雷 · 稲光 · 稲妻 · 雷光 · いかずち
Молния · мо́лния · Молнии · Джет (молния) · Эльф (молния)
Мо́лния — электрический искровой разряд в атмосфере, происходит во время грозы, проявляющийся яркой вспышкой света и сопровождающим её громом.
rayo · relámpago · Rayos
El rayo es un fenómeno natural de descarga electrostática disruptiva de gran intensidad que ocurre en la atmósfera, entre regiones cargadas eléctricamente, y que pueden producirse tanto en el interior de una nube, o entre varias nubes, o entre una nube y el suelo.